
यूपी में छात्रवृति पाने के नियमों में बदलाव किया जा रहा है। यदि छात्र ने स्कूल में किसी प्रकार का उपद्रव किया और इसकी सूचना स्कूल ने दे दी तो छात्र की छात्रवृति रोकी जा सकती है।
विद्यार्थियों के शिक्षण संस्थान में उपद्रव करने पर छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई की सुविधा रोकी जा सकती है। इस संबंध में जारी नई नियमावली में आचरण संबंधी कड़े प्रावधान किए गए हैं। संबंधित प्राधिकारियों को छात्रवृत्ति की सुविधा रद्द करने तक का अधिकार दिया गया है।
नई नियमावली के अनुसार, छात्रवृत्ति अभ्यर्थी की संतोषजनक प्रगति एवं आचरण पर निर्भर है। अगर संस्थान प्रमुख यह बताता है कि कोई अभ्यर्थी खुद के आचरण या चूक के कारण संतोषजनक प्रगति करने में असफल रहा है। उसे दुर्व्यवहार जैसे हड़ताल करने या उसमें भाग लेने या संबंधित प्राधिकारियों की अनुमति के बगैर उपस्थिति में अनियमितता आदि का दोषी पाया गया है तो संबंधित प्राधिकारी छात्रवृत्ति रद्द कर सकता है। इसे रोक सकता है या जितनी अवधि उचित समझे, आगे का भुगतान रोक सकता है।
यहां बता दें कि छात्रवृत्ति के तहत छात्रों को शैक्षणिक भत्ते के साथ ही संस्था से वापस न होने वाले शुल्क की भरपाई की जाती है। अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए शुल्क की भरपाई की कोई कैपिंग (अधिकतम सीमा) लागू नहीं है, जबकि अन्य वर्गों के लिए विभिन्न पाठ्यक्रम समूहों के आधार पर अधिकतम 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपये तक का भुगतान होता है। हर साल 50 लाख से ज्यादा विद्यार्थी योजना का लाभ पाते हैं।
पढ़ाई के लिए गोद लिए जाने पर भी अनाथ बच्चों को मिलेगा लाभ -
अनुसूचित जाति के हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं के माता पिता के जीवित न होने पर अगर कोई संस्था या संभ्रांत व्यक्ति उन्हें पढ़ाई करवाने के उद्देश्य से गोद लेता है तो भी उन्हें छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलेगा। संस्था के प्रबंधन या संभ्रांत व्यक्ति की आय उनकी पात्रता निर्धारण का आधार नहीं मानी जाएगी। यहां बता दें कि अनुसूचित जाति के ढाई लाख रुपये तक सालाना आय वाले परिवारों के बच्चों को यह सुविधा दी जाती है।
इसी तरह की अप्डेट्स हम लगातार आपको देते रहते हैं और अगर आप चाहते हैं कि हमारे द्वारा प्रकाशित की गई हर खबर और अपडेट आपको सबसे पहले मिले तो आप हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं। हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए हरे रंग की पट्टी वाले लिंक पर क्लिक करिये।