राष्ट्रीय सेमिनार के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए समन्यवयक डॉ. संतोष श्रीवास्तव ने बताया की सेमिनार में युवा वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों को विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में हो रहे आधुनिकतम नवाचार के बारे में शोध पत्र पढ़ने का अवसर दिया गया है। उन्होंने आगे बताया की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) नवाचार तकनीकी की एक विशेष उपलब्धि है। इसके मदद से रोबोट के माध्यम से भी शिक्षण कार्य किया जा सकता है। अब शिक्षकों के लिए भी चुनौती है की वे अपनी शिक्षण गुणवत्ता को बनाये रखें और रोबोट से बेहतर शिक्षण कार्य करें।
राष्ट्रीय कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि प्रो. धनंजय चोपड़ा ने अपने की नोट के उद्बोधन में कहा की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हमारे लिए दोधारी तलवार की तरह है। जिसका हमें विवेकपूर्ण उपयोग करना है। अन्यथा इसका दुरूपयोग हमारे लिए विनाशकारी साबित होगा। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आये क्रांतिकारी बदलाव ने वास्तविक एवं आभासी दुनिया के बीच की दूरी को कम से कम कर दिया है। आज फ़िर से इतिहास लिखे जाने का समय आ गया है। क्यों की पिछले पंद्रह साल की जन्मी पीढी ने कोरोना काल का जो नवीन अनुभव प्राप्त किया है। उसी के परिणाम स्वरुप सूचना के क्षेत्र में नई क्रांति एवं विकास के नये युग का सूत्रपात किया है
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. वंदना सिंह ने राष्ट्रीय सेमिनार की सफलता की हार्दिक बधाई दी। प्रो. दिनेश मनी ने विज्ञान के क्षेत्र में युवावों की बढ़ती जिम्मेदारी एवं भूमिका पर बल दिया। राष्ट्रीय सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे प्रो. के. बी. पांडेय ने कोरोना काल में शिक्षकों की भूमिका को साराहते हुए कहा की विज्ञान के क्षेत्र में हुए विभिन्न नवाचार शोध कार्यो की वजह से ही शिक्षा बाधित नही हुई और आनलाइन शिक्षण की वजह से शिक्षा बाधित नहीं हुई। लेकिन विद्यार्थियों एवं बच्चों में मोबाइल के बढ़ते उपयोग पर चिंता व्यक्त की।
इस अवसर पर उपस्थित शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र के माध्यम से विभिन्न नवाचार एवं उनकी सामाजिक उपयोगिता पर प्रकाश डाला। जिनमें आकांक्षा कश्यप, मंगला मिश्रा एवं निवेदिता श्रीवास्तव के शोध पत्र सम सामयिक समस्याओं के समाधान में सफल रहे।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. हिमानी चौरसिया एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अर्चना पांडेय ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग के सभी शिक्षकों के अलावा विज्ञान परिषद के देवब्रत द्विवेदी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद आदि उपस्थित थे।