BHU की ओर से 15 विषयों के आनलाइन कोर्स तैयार किए गए हैं। छात्र-छात्राएं घर बैठे इन कोर्स की पढ़ाई कर सकते हैं। बीएचयू ने स्टडी वेब्स आफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एम्पायरिंग माइंट्स) के तहत कोर्स तैयार किया है। 22 जुलाई से संचालित होने वाले इस कोर्स के लिए आनलाइन पंजीकरण करवाना होगा।
बीएचयू ने 4 से 12 सप्ताह की अवधि वाले इन कोर्स में प्रबंधन, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, मानविकी समेत अन्य विषयों को शामिल किया है। कोर्स को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय की ओर से प्रमाणपत्र दिया जाएगा।
बीएचयू के शिक्षकों की मानें तो इन पाठ्यक्रमों के लिए तकनीकी सहयोग आईआईटी कानपुर एवं आईआईटी मद्रास ने उपलब्ध कराया है। सरकार की ओर से आरंभ स्वयं पहल का उद्देश्य पठन-पाठन के उत्तम संसाधनों को सभी तक पहुंचाना है।
वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) ने एक महत्वपूर्ण पहल की है जिससे अब 15 विषयों में घर बैठे पढ़ाई की जा सकती है। विश्वविद्यालय ने इन विषयों के लिए ऑनलाइन कोर्स तैयार किए हैं, जिनका उद्देश्य शिक्षा को हर किसी के लिए सुलभ और सुविधाजनक बनाना है। इस पहल से उन विद्यार्थियों को विशेष लाभ मिलेगा जो किसी कारणवश परिसर में आकर पढ़ाई नहीं कर सकते।
इन ऑनलाइन कोर्सों में विज्ञान, कला, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान और अन्य प्रमुख विषय शामिल हैं। प्रत्येक कोर्स को विशेषज्ञों द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें वीडियो लेक्चर्स, ई-पुस्तकें, और इंटरएक्टिव असाइनमेंट शामिल हैं। छात्रों को एक सुव्यवस्थित लर्निंग प्लेटफॉर्म प्रदान किया जाएगा जहां वे अपनी गति से पढ़ाई कर सकेंगे और किसी भी समय सामग्री को पुनः देख सकेंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि यह कदम विशेष रूप से महामारी के बाद की स्थितियों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। उन्होंने कहा कि डिजिटल शिक्षा का महत्व अब पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है और BHU का यह प्रयास छात्रों की शिक्षा में निरंतरता बनाए रखने में सहायक होगा। इसके अलावा, यह कदम ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए भी एक वरदान साबित होगा, जो उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्राप्त करने के लिए शहरी क्षेत्रों में जाने में असमर्थ हैं।
BHU की इस पहल का व्यापक स्वागत हुआ है और विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है। विश्वविद्यालय का मानना है कि इस कदम से न केवल शिक्षा की पहुंच बढ़ेगी, बल्कि छात्रों की आत्मनिर्भरता और कौशल विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा। अब छात्र अपने सुविधानुसार किसी भी समय और कहीं से भी इन कोर्सों का लाभ उठा सकते हैं और अपने अकादमिक सपनों को साकार कर सकते हैं।